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ग्रेजुएशन दूसरे साल की फाइनल परीक्षा एक हफ़्ते की दूरी पर...और हम इश्कियाने मुड के व्यस्तता में मस्त...खैर खुमारी उतरी तो पता ये चला कि नेतागिरी ने पढ़ाई को लील रखा है। उस दौर के तमाम साथी आज भी वो साल याद रखे ही होंगे...केस-दर-केस...लङाई-दर-लङाई...हालात ये कि हम जितना थाने-कोर्ट-कचहरी में उपस्थित रहे उससे बहुत कम क्लास और काॅलेज में। हालात ऐसे थे कि हमारे पास पूरे सिलेबस में से एक भी क़िताब नहीं था...परेशानी के सारे सबब पगली को बताया गया...उस समय हमने उसे दुनियाभर के तमाम मोटिवेशनल लीडरों से बेहतर पाया। बिना हथियार और टूटे मनोबल के साथ सामने आन पङे महाभारत की तैयारियाँ शुरू हुई...पर सकारात्मक बस इतना कि द्रौपदी हो चुकी हमारी परिस्थिति को संभालने पगली श्रीकृष्ण बन चुकी थी।
हर पेपर से पहले वाली रात को 11 बजे तक सुला देना और भोर के 3 बजे तक उठा देना...उसके अपने नमाज़ों से ज्यादा क़ीमती हो चुका था। हम भी खोया फाॅर्म पाने लगे और जैसे-तैसे सामग्रियाँ जमा करके पेपर-दर-पेपर देने लगे। रिजल्ट आने से पहले वो गेबन शाह हज़रत की दरगाह पर चुनरी-चादर के घूस की पेशकश कर आई। नहीं मालूम कि ये असर हमारे पगली के दुवाओं में था या फ़िर पक्के नमाज़ी टाइप हमें सुलाने और जगाने की जिम्मेदारी में था...या फ़िर हमारे जीतोङ़ मेहनत में था...पर वो असर आज भी उसको समर्पित टाॅपर सर्टिफ़िकेट व टाॅपर ट्राॅफी के रूप में धरोहर टाइप हमारे पास सुरक्षित रखा है।
बिना रूसवाईयों के कैसी मोहब्बत? अब ये दौर रूठने-मनाने का था...कभी हम रूठे तो कभी हमारी पगली। काॅलेजों का हर नया सेशन(सत्र) नेतागिरी के चक्कर में हमारे लिए व्यस्तता से भरा होता था...लाज़िमी है कि अब हम उसे समय नहीं दे पा रहे थे। काॅलेज में चुनाव बस कुछ दिनों के बाद...एडमिशन्स के लिस्ट हमसे दुश्मनी निकालने आए जा रही थी और उधर पगली का एग्जाम भी था। हम लाख कोशिशों के बावज़ूद भी उसका सहारा हो पाने में असफ़ल हो रहे थे...तभी किसी प्रचंड फेसबुकिया राष्ट्रवादी कवि(?) के चक्कर में कुछ गलतफ़हमियाँ हुई और हमारी मोहब्बत ने पहली बार भीषण महाभारत का रूप धारण किया। खैर...सुबह होश संभालते ही हम तैयार हुए और तमाम चुनावी ज़िम्मेदारियों को एक किनारे रख उसके पास पहुँचे...सेंटर था करणपरा मेईन ओफिस....एक-डेढ़ घंटे के सफ़र में सीने पर पगली का मुक्का और सिर संभालते हुए हम मंज़िल तक पहुँचे। आँखें सुजाए बैठे अपनी ज़ान को मिठाईयाँ खिलाए...तुरंत कालावाड रोड की ओर भागे...वापस आके रिसीव किए और घर तक पहुँचाए। सिलसिला तबतक चला जबतक कि उसके पेपर खत्म न हो गये। न मालूम कि कमी कहाँ छूटी...हमारा बेहूदगी भरा रूख या पढ़ाई को किनारे रखती पगली की दीवानगी...रिजल्ट वैसा न हो सका जैसी उम्मीदें थी। वो बुरा रिजल्ट ही हमारे मोहब्बत का पहला अपराधबोध है...आज भी हमें ये कुफ़्र सा लगता है और सज़ाएँ भी शायद इसीलिए नाकाफ़ी हो जाती हैं।
माहौल कुछ-कुछ ऐसा ही था जैसा कि आज...बस फ़र्क इतना की वो देशभर का मुद्दा न होकर हमारे काॅलेज तक ही सीमित था। सुबह से भयानक बरसात...काॅलेज में वोटिंग का दिन...हमारा काफ़ी-कुछ दाँव पर...भीगते हुए जैसे-तैसे वोट पङे। शाम उसदिन भी आज जैसा ही सिंदूरी हो गया था...और हम थे कि रिजल्ट के इंतज़ार में बेचैन...अंदेशा हो गया कि हम बहुत बुरी तरह हारने वाले हैं और हुआ भी वही...सारे सीट हारकर घर भाग जाने की हङबङी में अधिकांश साथी निकल लिए...हम बेहोश टाइप वहीं टिके रह गए। पगली हमसे भी ज्यादा बेसब्री से रिजल्ट का इंतज़ार कर रही थी...पाॅकेट में रखा फोन कांपा...पगली को काॅलबैक करके रिजल्ट बताया गया...और फ़िलहाल फोन न करने का आदेश देकर बीग बाजार का रूख किया गया। अपने अतिप्रिय मंदिर से पतित पावन राम मंदिर के पास से बीयर की बोतल खरीदकर ग़म को भगाने का दौर शुरू हुआ...उधर पगली लगातार फोन कर-करके परेशान। सुबह जब खुमारी उतरी तो 26 मिस्डकाॅल और क़रीब इतने ही मैसेजों को गलती की गवाही देते पाया...पगली ने नाराज होके पूरा आसमान सिर पे उठा रखा था...मनौती की शर्त ये रही कि हम एक घंटे में काॅफी हाऊस मिल रहे हैं। आदतन हम लेट पहुँचे...पर कुछ देर के बहस के बाद हम अपने पगली को मनाने में सफ़ल रहे। हम कमजोर थे तब...तभी बीयर को शरणागत हुए थे और यह उसकी मोहब्बत को और मज़बूत करने की वज़ह बन गया। उसका वो अथाह-अनंत समर्पण...पगली ने अपनी आत्मा तक को हमारे लिए निकाल के रखा था...पर हम बेहूदों ने कब क़द्र जाना है इस समर्पण की? क़यामत तक वो अपने मोहब्बत से उस शराब को भगा देने का जतन करते रही पर हम अपने तमाम बेहूदगी को फ़कीराना-फ़क्खङपना बताके खुद को महान साबित करने का प्रयत्न करते रहे।
(जारी...)
- Raj Vasani. (મોરી ચા.) 😊😉
Superb raj bhai
ReplyDeleteRula diya aapne to...
😢😢😢
Dont take seriously dear just enjoy it.
DeleteOk bro 👍
DeleteOk bro 👍
DeleteSuperb raj bhai
ReplyDeleteRula diya aapne to...
😢😢😢
Rocking....... ......
ReplyDeleteRocking....... ......
ReplyDelete😊😉👍
Delete😊😉👍
DeleteGood waiting 4 next..
ReplyDeletepradipbhai 3rd chapter will be coming soon...
Deletenot 4th
again thanks...
Good waiting 4 next..
ReplyDeleteTere dar pe aake tham gaye Naina namaazi ban gaye Chalo ......
ReplyDeleteTruly.. awesome. ....
thanks...."tezally"
Deletebas ye siriz kabhi khtam nahi honi chahiye.....
ReplyDeletewoh toh age dekhate hain...
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