Monday, 14 March 2016

'Meet John Doe'

'Meet John Doe'

आज से 5 साल पहले अंग्रेजी की एक मशहूर ब्लैक & वाइट फ़िल्म  'Meet John Doe' देखी थी। उसके निर्देशक फ्रैंक कैपरा थे और गैरी कूपर ने उसमे मुख्य भूमिका निभायी थीं।

फ़िल्म का कथानक तो कुछ और था लेकिन अपनी बात कहने के लिए आपकी मुलाकात 'जॉन डो' से कराता हूँ, जो वास्तविकता में जॉन विल्लोहबी नाम का आदमी है। वो एक बेरोजगार और फटेहाल आदमी है, जो एक अजनबी शहर में आया हुआ है। शहर का मौहोल राजनीती और सत्ता की आपा धापी से गर्म है। उसी शहर में एक प्रभावशाली अख़बार होता है जिसका मालिक 'नॉर्टन' है, जो प्रभावशाली भी है और राजीनीति में दखल भी रखता है। उसी अख़बार में एक महिला पत्रकार 'मिशेल' भी होती है, जो उस वक्त अपने खुद के अस्तित्व और जीविका की लड़ाई लड़ रही होती है।

मिशेल, अपनी नौकरी बचाने के लिए, एक काल्पनिक चरित्र 'जॉन डो' के नाम से, एक फ़र्ज़ी पत्र अख़बार में छाप देती है, जिसमे जॉन डो, समाज में व्याप्त कुरीतियों और भरष्टाचार के विरोध में, क्रिसमस के दिन आत्महत्या करने की घोषणा करता है।

जब वह पत्र अख़बार में छपता है तो शहर में सनसनी फ़ैल जाती है और लोग जॉन डो को जानने को आतुर हो जाते है। तब मिशेल उस फटेहाल बेरोजगार आदमी जॉन विल्लोहबी को 'जॉन डो' बना कर जनता के सामने पेश करती है। अख़बार मालिक नॉर्टन इसमें राजिनैतिक भविष्य देखता है और  मिशेल की तनखाह बढ़ा देता है। उसके ऐवज में वो जॉन डो की आवाज़ बन जाती है और जॉन डो के नाम से लेख और भाषण लिखने लगती है।

लेकिन शहर के प्रतिद्वन्दी अख़बार और कुछ सजग नागरिको को यह शक होता है की जॉन डो फ़र्ज़ी है।वो लोग पुरे मामले की जांच करने लगते है ताकि जॉन डो, मिशेल और नॉर्टन की असिलयत सबके सामने उजागर की जासके। इसी घटनाक्रम में नॉर्टन, जॉन डो को आगे करके  एक राजिनैतिक पार्टी बनाने की घोषणा कर देता है। जिस दिन इस पार्टी का उद्घाटन होना होता है उस दिन, जॉन डो को एहसास होता है की नॉर्टन अपने स्वार्थ के लिए उसे इस्तमाल कर रहा है तो वह निश्चय करता है की उद्घाटन समारोह में वो सबको जॉन डो, नॉर्टन और मिशेल की असिलयत बता देगा और फिर शहर से चला जायेगा। यह बात जब नॉर्टन को पता चलती है तो नॉर्टन पहले ही जनता को बता देता है की जॉन डो, धोखेबाज़ और फ़र्ज़ी है और जॉन विल्लोहबी ने जॉन डो बन कर उसको और जनता के विश्वास के साथ धोखा दिया है।

अब जनता का सारा आक्रोश उस जॉन डो की तरफ उमड़ पड़ता है। इस सब से दुखी और हताश जॉन विल्लोहबी, जॉन डो के पहले फ़र्ज़ी पत्र की घोषणानुसार, सबसे ऊँची ईमारत से कूद कर, आत्महत्या करने का निश्चय करता है। अब एक वर्ग चाहता है की जॉन डो मर जाये और दूसरी तरफ मिशेल का हृदय परिवर्तन होता है और वो उसे मरने से रोकती है। अंत में जॉन विल्लोहबी, जॉन डो का चोला उतार कर, रात के अँधेरे में शहर छोड़ देता है।

इस कहानी में आपको NDTv, ABP, Aaj Tak, बरखा दत्त, रवीश कुमार, राजदीप सरदेसाई, राणा अयूब, येचुरी, राजा, केजरीवाल, सोनिया गांधी, रोहित वैमुला, कन्हैया सब के दर्शन हो जायेंगे।

वो फ़िल्म थी इसलिए मिशेल उसे जिन्दा रखती है लेकिन भारत की कहानी हकीकत है, यहां कोई किसी को नही बचाएगा।

जॉन डो बच गया लेकिन कन्हैया, रोहित वैमुला बनने से बचेगा इसमें शक है, क्योंकि उसकी पल पल होती मौत को टीवी पर कई रातों से देख रहा हूँ।

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया राज भाई अलख जगाते रहिये

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  2. बहुत बढ़िया राज भाई अलख जगाते रहिये

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